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Showing posts from 2014

Movie influences the society

Gone were the days, when people used to conduct meeting to share their personal views and opinion about the society and the situation of particulars. Group chatting or meeting is the best way to communicate with others and it also helps to transmit the idea from one to another. Now, because of the media penetration into our social structure all process of sharing the views and communicating meaning has been vanishing. Yes, movie influences most of the viewers by their program content.  Many philosophers have said, cinema is a reflection of society and movie is showing the same content to their viewers. Movies or television based program show most of the part of our society in terms of incidents, situation, and moments. For instance, there are some program which broadcasts on Indian tv channels i.e. Savannah India, Crime Petrol, Balika Vadhu, Budh etc. All these programs have influence content in different genres. I have seen many cases in my area which is enough to describe the inf

मूर्ति लगवाने की असली परिभाषा क्या है?

685 cr में राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल जिसमे- दर्जनों मुर्तिया हाथी एवं 9 महापुरुष- ज्योतिवा राव फुले, बाबा साहेब, शाहूजी महाराज, कांशीराम, संत रविदास, कबीरदास, गुरु घासीदास, और बहुत से समाज सुधारकों की है जिनकी ऊंचाई 18 फीट के करीब है, और सबसे महत्वपूर्ण भारत का राष्ट्रिय चिन्ह (अशोका) जिसकी ऊंचाई १०० फीट है, सारी मूर्ति  एवं पुरे पार्क निर्माण का रिकॉर्ड खर्चा 685 cr. बैठा| इस स्थल के निर्माण के दौरान बहुत से राजनीतिक दलों ने शोर मचाया कि  यह जनता का पैसा है इसे मूर्ति बनाने में बर्बाद किया जा रहा है| चलते काम को कई बार रोकने की कोशिश भी की गयी बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसका काम दुबारा शुरू हुआ और पूरा हुआ, आज इस स्थल को ज्यादातर लोग दलित प्रेरणा स्थल के नाम से जानते हैं और कुछ लोग इसे राष्ट्रिय ग्रीन पार्क के नाम से| दूसरी तरफ अभी हाल ही में हमारे प्रधान मंत्री जी की इच्छा अनुसार एक प्रोजेक्ट पास हुआ बल्कि काफी प्रोजेक्ट पास हुए जो जनहित में कम मगर निजी हित में ज्याता दिखाई दिए जैसे - यमुना सफाई अभियान, भारतीय रेल में RO का पानी (सप्लाई कौन करेगा भारत सरकार? या कोई कॉन्ट्

पूंजीवादी सोच का असर Capitalism Impact on Society

पूंजीवादी सोच काफी खतरनाक, हानिकारक एवं बेफिक्र किस्म की होती है जिसमे पैसा इंसान की जरुरत न होकर उसकी मज़बूरी में तब्दील हो जाता है. और मजबूरी सिर्फ पूंजीवादी सोच ही पैदा करती है | आजकल टीवी पर आये दिन नए नए प्रोग्राम टेलीकास्ट किये जा रहे है जिसमे ज्यदातर संख्या में भागीदारी बच्चो की ही दिखाई पड़ती है| इनमे से कुछ बच्चे इस प्रोग्रामो के माध्यम से बहुत अच्छे और जाने-माने स्टार बन जाते है, तो कुछ इस स्टार किड्स की लाइन से कोसो दूर दिखाई देते है| मैं हमेशा सोचा करता था कि आजकल का समय समाज में बहुत तेजी से बदलाव पैदा कर रहा है | खास तौर पर भारत में तो हद से ज्यादा और इसी सोच के चलते मैं यह टैलेंट शो बहुत चाव से देखा करता था | और खुश भी हुआ करता था की चलो हम तो अपने बचपन के समय में इतनी नहीं मगर कुछ विशेषताओ के साथ भी बहुचर्चित नहीं हो सके मगर यह तो हो रहे है |  मेरे पापा अक्सर कहा करते थे कि "इस टैलेंट हंट शो की वजह से इन बच्चो का भविष्य ज्यादा अच्छा नहीं रहेगा, क्योंकि बचपन भी इस शो की वजह से गायब हो रहा है, छिन रहा  है| जिनके पास पैसा आ गया वह तो बहुत खुश और जिनके पास असफलता

शिक्षक दिवस का मेहत्व

उदहारण के तौर पर अभी हाल ही में भारत में शिक्षक दिवस मनाया गया था, जिसे हमारे प्रधान मंत्री जी ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित करवाया और मनवाया भी | मुझे कुछ बात तथ्यों के आधार पर नहीं लगी, जैसे हम कभी कोई दिन विशेष दिन की तरह मनाते है तो हम उस दिन में कुछ विशेष ढूंढ़ते है और कुछ विशेष नहीं मिले तो ज़ाहिर है नहीं मानते, खास तौर पर शिक्षक दिवस जिस इंसान को याद करते मनाया गया वह मेरे हिसाब से कुछ ऐसा नहीं था जो मुझे उस दिन को मानाने के लिए उत्साहित करे | मेरे हिसाब से कोई भी दिवस मानना तब जरुरी होता है जब वह सही में विशेष दिवस के लिए सर्वापरि हो| शिक्षक के तौर पर हमारे देश में सबसे पहले कोई आया है तो वो सिर्फ ज्योतिबा और सावित्री बाई फुले है और हमें शिक्षक परम्परा के हिसाब से हमे यह दिन मतलब शिक्षक दिवस 3 जनवरी को मानना चाहिए |  मगर हमारे प्रधान मंत्री जी ने यह दिन पूरी तरह से थोपने की कोशिश पूरा दिन जारी राखी, स्कूलों ने न चाह कर भी यह दिन प्रधान मंत्री जी के तरीके से मनाया | सर्वपल्ली राधाकृष्णन, बतौर हमारे दुतीय राष्ट्रपति रह कर ऐसा कुछ कार्य नहीं कर सके जिससे हम कुछ प्रेरणा मिले,

भारत में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता का एक गमगीन सफ़र

हमारे देश में वैसे तो बहुत सारी राजनीतिक पार्टियाँ हैं| अपने किये संघर्ष के बलबूते पर आज यह बड़ी पार्टियों  के रूप में उभर कर आ रही हैं| भारत में यह कांग्रेस, बीएसपी, बीजेपी, अकाली दल, सीपीआई, सीपीएम जैसे और भी बहुत सी पार्टियों के रूप में उभर कर आई हैं जिनका मैदानी संघरस काफी काबिले तारीफ रहा हैं| हम जब भी इन सब पार्टियों को याद करते है तो हमे सिर्फ गिने चुने लोग ही याद आते हैं, और अगर हम उस पार्टी के समर्थक है या प्रशंशक है तो हो सके मुश्किल कुछ और लोगो के नाम याद आ जाए | भारत एक लोकतान्त्रिक देश के रूप में विश्व में प्रचलित हैं. लोकतंत्र माने - लोगो का तंत्र, जहा लोगो को अपनी समाज के प्रति हिसेदारी रखने, अपने बिच से सही व्यक्ति को पुरे समाज के लिए प्रतिनिधि चुनने का पूरा हक हैं| लोकतंत्र का सही मतलब हम में से बहुत से लोग शायद समझ नहीं पा रहे है या फिर जानना ही नहीं चाहते है| राजनीति में लोकतंत्र का वजूद अब अपने मुद्दे से बिखरा हुआ सा लग रहा हैं यहाँ हर पार्टी अपन झंडा लहराने में महारत हासिल कर चुकी है चाहे वो भारत हो या कोई और देश| मगर हममे से किसी ने भी कभी उन लोगो के बारे में सो

Gujarat का आराम दायक सफ़र : Ravish Kumar #Primetime

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सफ़र का अफसाना बयां किया नहीं जाता हो जाता है| आज कल सोशल मीडिया (ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब) पर राजनीती के प्रचार का जरिया बना हुआ है| जिसे भी देखो वो अपने ही पार्टी की गुण गान सोशल मीडिया द्वारा कर रहा है. कहने को तो बहुत कुछ है लेकिन मेरे शब्द उतने अहमियत नहीं रखते की आप हमसे सहमत भी हो जाये और बात भी मान ले| गुजरात, विकाशील शहर जो आजकल सोशल मीडिया पर एक ट्रेंड बनकर उभर रहा है. विकास और उसके पीछे किसका हाथ यह साबित करने के लिया आज सारी पार्टिया अपने शाम दाम दंड भेद के जरिये से साबित करने में तुली हुई है की कौन है इस विकास का असली हकदार| यह कई बार देखा गया है बहुत से लोगोग द्वारा जो हमे टीवी पर दिकह्या जाता है वह १००% प्रतिशत सच नहीं होता है मगर उसे १००% साबित करने के लिए कितनी जदोजेहद करते है यह(पार्टी) आपतो जानते ही है. पिछले कुछ महीनो से में फेसबुक पर एक हॉट विषय चर्चा में है.......... मोदी का विकास-गुजरात   बहुत से न्यूज़ फीड फेसबुक पर आते है मोदी जी और उनके विकास को लेकर मगर बात तब हजम नहीं होती जब हम उसे अपने तर्क के आधार पर समझते है और उसकी सचाई का पता लगते है की यह

Are we educated or just filling the government records?

Education is a tool of cultivating mind of individuals in the society. It mobilizes the people in system with its expertise. It gives the reasoning power to make some changes.  (UNESCO) “Education is a powerful tool by which economically and socially marginalized adults and children can lift themselves out of poverty and participate fully as citizens”.  People send their child to the school for nurture their skills and help to develop their mind with perspective of society. The need of education is debatable topic through-out the university and college with context of how to promote good and effective education to the  adult  and adolescent. Dr. Ambedkar had also emphasized on fully implementation of free education system  he directed that,  Intellectualism  among the youth is the tool of mobilize the movement, without education no one community will able to run their movement with strong impact. Jay Prakash( B.tech Student) has said that, “ I was shocked to see the level

"Surajkund" International Fair

We all have seen fair's in our life. Some fair was located at your reaching power and some of them are not. Every fair has its own specialty and features. The same feature can be found in "Surajkund Mela", it’s a National fair which comes once in a year. It was first started at 1987. Every year in the month of February from 1-15 by the government of Haryana has been conducting in Surajkund Village. Surajkund Literal mean is " Lake of the Sun ". The fact of surajkund is it is an ancient reservoir of the 10th century which had built with the shape of Rising Sun with the semi-circle design.   Goa- It  was the theme of 28th Surajkund Mela Celebration 2014. In this year the Sri Lanka has been chosen as partner nation. Every year they change their theme. If we normally say and see we would found that, it has main attraction theme is "Handicraft Product" and culture diversities around the nation and it is the also the reason to celebrate the Surajkund Mela.

Is Woman a object of consumption. क्या औरत एक उपभोग की वस्तु है ?

मेले तो अपने बहुत से देखें होंगे | जहाँ पर कई तरह के मौज मस्ती के कार्यक्रम और व्यवस्था होती है आपका मनोरंजन करने के लिए | कुछ इसी तरह का एक मेला आज कल ग्रेटर नॉएडा के पास एक छोटे से गाँव कासना में लगा हुआ था | मेले में वो सब कुछ था जो आमतौर पर होना चाहिए जैसे की बड़े पहिये वाला झुला, कोलंबस जिसे हम नाव वाला झुला भी कहते है, निशाने बाज़ी, फोटोग्राफी, बबली डांस, और जादू इतियादी जैसे कार्यक्रम पेस किये जाते है और भी बहुत से के करतब और गाने जो मेले की आवाज को दूर दूर तक लोगो के कानो में पहुचाते है | यहाँ पर आने वाले लोगो की कुछ अलग ही श्रेणी है जैसे कुछ लोग अपने परिवारों के साथ तो कुछ अपने दोस्तों के साथ तो कुछ अकेले ही मौज करने आ जाते है | मेला, देखा जाये तो यह एक मौज मस्ती की जगह है | आप यहाँ उन सारी खुशियों से रूबरू होते है जो आप ज्यादातर पुरानी टीवी सिरिअल और फिल्मो में देखते है | मेले में आपको लुभाने के लिए हर तरह का इंतजामात किया जाता है | बरहाल हम यह भी भूल जाते है की जो हमारा मनोरंजन कर रहा है वो भी तो एक इंसान ही है | इस ब्लॉग पोस्ट में मेरा एक मात्र उदेश्य उन बातो को आपके

Internet is the vehicle of social change?

G one are the days when people use to agitate in parks, roads, and in front of government building. Today we are living in internet era, where we got our self into gadget world like: Laptop, Mobile, PDA’s, iPods etc. All gadgets are internet connection-less and all have a capability to connect to the outside world with in a second. Now we can get the access to the rural and villages in a few seconds. We can look after the condition through the internet and we can get to know about the latest updates through the internet. In this article we discuss about the conditions which exists before the internet era which also affects the social change.  Today's because of the globalization of everything has changed the standards. Today we got facebook, twitter, and many more social networking sites which is not only allow us to communicate even they have given the huge space to express our views at SNS and we can discuss about various social problem and their solutions.  Just think abou

Bekadar duniya बेकद्र दुनिया

बेकद्र  एक ऐसा शब्द है जो हमें कुछ सोचने पर मजबूर कर देता है | जब भी हम इस शब्द को किसी से सुनते है तो, आखिर क्यों?, क्या?, कैसे? यह शब्द इस तरह के प्रश्नों के रूप में हमारे दिमाग में आते है| जब कभी भी आप इस शब्द का इस्तेमाल करते है तो एक ही बात आपके ज़ेहन या आपके मन में आ ही जाती है | "नफरत" वो क्यों? क्युकी या तो वह इंसान आपकी इच्छाओ पर खरा नहीं उतरा या इंसानियत की मिसाल को दाघिन्न कर रहा है | आप भी यह सोच रहे होंगे कि आखिर क्यों मैंने इस शब्द का इस्तेमाल किया? आखिर क्या जरूरत आन पड़ी मुझपर जो "बेकद्र" शब्द आज मेरा ब्लॉग पोस्ट बन गया | "बेकद्र " यह शब्द किसी इंसान के लिया भी इस्तेमाल किया जा सकता है और पुरे समाज के लिए भी | समझ समझ का फैर है  अगर हम यु कहे की आपने किसी वस्तु या किसी विशेष व्यक्ति की कदर न करने को बेकदरी केहते है तो आप थोडा हल्का समझेंगे और दुसरे शबदो में कहे तो " इच्छाओ के साथ साथ खिलवाड़ करना, किसी की मज्बूरी को न समझना, अपने आप में गुरुर करना बेकद्री को दर्शाता है| मैंने कई जगहों पर लोगो को हस्ते देखा है रोते हुए भी देखा है मगर

A journey which has no ends एक सफ़र जिसका कोई अंत नहीं

Udupi, it's a name of station which is situated in Manipal city. Most of the people who lives in India have not heard about Udupi. Udupi is the small town which situated in Manipal city in the southern part of Karnataka. Total area of Udupi is 68.23km 2 , Population(2001) 127,060. In Udupi Most of the people speak  Tulu Language but there are some other language also which are  Konkani, Kannada and Beary bashe . Udupi- the most beautiful small town I have ever seen in my life here people are so beautiful and so in peace and calm which enhance the beauty of Udupi. I was coming from Mangla express train my departure time was mentioned 11.40 pm but it departed 30 minutes late form its actual time. I was alone but not for a long time because my friend is live there. He is doing Engineering from Manipal Institute of Technology of Manipal University and he was waiting for me at the station and I was so happy to meet him. I have never traveled alone too far from my house so I was cu

बारिश का एहसास....... दिल से

कुछ एहसाश ऐसे होते है जिन्हें बयान करना थोड़ा मुश्किल मगर महसूस करना बड़ा आसान होता है। उन्ही में एक है बारिश का एहसाश।  क्या कहूँ इसके बारे में? जो भी कहूँ कम ही लगेगा। मगर बारिश के नाम से कभी-२ डर लगता है. क्युकी यह हर दिन एक जैसा नहीं रहता है|| कभी- २ यह बंजर मन को खुशहाल बना देता है, कभी यह पूरानी मीठी यादों को चेहरे के सामने ले आता है, तो कभी अपने अतीत के प्यार की याद भी दिला देता है!  मगर मैं फिर भी बारिश से डरता हूँ क्यूँकि मैं इन मंजर में बितता हूँ हर घड़ी, हर पहर। कभी चेहरे पर मुस्कान लिए तो कभी आसमान कि तरफ़ अपनी नज़रें टिकाए हुए।  कुछ समय बाद अपने आप को होश में लाते हुए आँखों को मींचते हुए अपने आप से कहता हूँ " यह तो मौसम का हिस्सा है भला तू इसके पीछे क्यों भागने लगता है| खुश रहना है तो हर मौसम में खुश रहना सिख वरना एक मौसम की ज़िन्दगी भी भला कोई ज़िन्दगी है! यह सारी बातें जान कर अपने आप को समझाता हूँ, मगर फिर भी अपने आप को लाचार ही पता हूँ। क्या करूँ मजबूर हूँ शायद इसीलिए ही अपने होने की एहसास से दूर हूँ। इसीलिए ही में बारिश की एहसास में अपने आपको खोजे जा रहा ह