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बारिश का एहसास....... दिल से

कुछ एहसाश ऐसे होते है जिन्हें बयान करना थोड़ा मुश्किल मगर महसूस करना बड़ा आसान होता है। उन्ही में एक है बारिश का एहसाश।  क्या कहूँ इसके बारे में? जो भी कहूँ कम ही लगेगा। मगर बारिश के नाम से कभी-२ डर लगता है. क्युकी यह हर दिन एक जैसा नहीं रहता है|| कभी- २ यह बंजर मन को खुशहाल बना देता है, कभी यह पूरानी मीठी यादों को चेहरे के सामने ले आता है, तो कभी अपने अतीत के प्यार की याद भी दिला देता है!  मगर मैं फिर भी बारिश से डरता हूँ क्यूँकि मैं इन मंजर में बितता हूँ हर घड़ी, हर पहर। कभी चेहरे पर मुस्कान लिए तो कभी आसमान कि तरफ़ अपनी नज़रें टिकाए हुए।  कुछ समय बाद अपने आप को होश में लाते हुए आँखों को मींचते हुए अपने आप से कहता हूँ " यह तो मौसम का हिस्सा है भला तू इसके पीछे क्यों भागने लगता है| खुश रहना है तो हर मौसम में खुश रहना सिख वरना एक मौसम की ज़िन्दगी भी भला कोई ज़िन्दगी है! यह सारी बातें जान कर अपने आप को समझाता हूँ, मगर फिर भी अपने आप को लाचार ही पता हूँ। क्या करूँ मजबूर हूँ शायद इसीलिए ही अपने होने की एहसास से दूर हूँ। इसीलिए ही में बारिश की एहसास में अपने आपको खोजे जा रहा ह