Caste इन इंडिया
जब कभी भी दलित समाज की ख़बर अख़बारों या टीवी में आती है तब तब समाज का एक बहुत बड़ा तबक़ा इन घटनाओं की ख़बरों को नज़रंदाज करते देखा गया है इस तबके को दलित आधारित घटनाए आम से भी आम सी लगती है मगर यह कड़वी सच्चाई है की यह दलित आधारित घटनाए ही एक नज़र से ज़्यादा देखी जाती है। जातीगत भेदभाव, आज भी समाज में उतना ही सक्रिय है जितना मंदिरों में ब्राह्मण पुजारी। लोग नहीं समझना चाहते की जातिगत भेदभाव सबसे बड़ी जड़ है समाज में हो रही ज़्यादातर घटनाओं की। कुछ लोगों की यह भी मान्यता है कि जाति सिर्फ़ और सिर्फ़ भारत में ही दिखाई देती और वो भी कुछ ही इलाक़ों में मगर यह सरासर अज्ञानता का प्रतीक है जो किसी के पास भी भरपूर मात्रा में मिल सकता है। जातिगत भेदभाव को समझना व समझाना दोनों ही अलग अलग बात है। भारत में बहुत बड़ा तबक़ा लोगों को जाति को लेकर समझाते हुए कायी बार देखा है मगर समझते हुए बहुत कम। जातिगत सोच- विचार यह सब समाज में आप कहीं भी जाकर एक दूसरे से किसी भी राजनेतिक मुद्दों पर बात कर के भी आसानी से देख और समझ सकते है। जाति हमारे समाज में इस क़दर अपनी जड़े जमाए हुए है की इसे ख़त्म ...