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यह समाज किसका?

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समाज एक ऐसा शब्द जो आपको हर वक़्त अपने होने का अहसास कराता है, आपकी परेशानी की जड़ अथवा निवारण भी बनता है। यह शब्द रिकार्ड के हिसाब से लैटिन के शब्द socius से शुरुआत होता हुआ फ़्रेंच शब्द societe से बना है जिसका मतलब 'एक समूह जहाँ सामूहिक दोस्तीय व्यवहार हो या किया जाए'। शाब्दिक अर्थ से वर्तमान में हो रहे काम को करने और समझने के तरीक़ों में बहुत अंतर देखने को मिलेगा। समाज का मतलब अगर हम भारतीय संस्कृति के हिसाब से देखें तो यह शब्द कई ब्रांच में बटता दिखाई देगा। भारत में यह शब्द सिर्फ़ शाब्दिक अर्थ तक सीमित नहीं रहा है। यहाँ समाज के नाम पर आपको कई अलग -२ तरह के समूह देखने को मिलेंगे जो अपने स्तर पर समाज की परिभाषा को परिभाषित करते है। उदाहरण के तौर पर- यह छोटा अथवा बड़ा समाज, ग़रीब-अमीर, ऊँचा- नीचा, और इस जात- उस जात का आदि। मगर भारत में जात के हिसाब से अधिकतर लोग समाज को परिभाषित करते है। समाज के अर्थ के हिसाब से मतलब तो एक ही है मगर एक लेबल का जुड़ाव भी यहाँ पर देखने को मिलेगा जो आपको समाज की शाब्दिक परिभाषा से अलग सोचने पर मजबूर करेगा। जब भी हम समाज कि बात करते है तो