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Showing posts from September, 2014

पूंजीवादी सोच का असर Capitalism Impact on Society

पूंजीवादी सोच काफी खतरनाक, हानिकारक एवं बेफिक्र किस्म की होती है जिसमे पैसा इंसान की जरुरत न होकर उसकी मज़बूरी में तब्दील हो जाता है. और मजबूरी सिर्फ पूंजीवादी सोच ही पैदा करती है | आजकल टीवी पर आये दिन नए नए प्रोग्राम टेलीकास्ट किये जा रहे है जिसमे ज्यदातर संख्या में भागीदारी बच्चो की ही दिखाई पड़ती है| इनमे से कुछ बच्चे इस प्रोग्रामो के माध्यम से बहुत अच्छे और जाने-माने स्टार बन जाते है, तो कुछ इस स्टार किड्स की लाइन से कोसो दूर दिखाई देते है| मैं हमेशा सोचा करता था कि आजकल का समय समाज में बहुत तेजी से बदलाव पैदा कर रहा है | खास तौर पर भारत में तो हद से ज्यादा और इसी सोच के चलते मैं यह टैलेंट शो बहुत चाव से देखा करता था | और खुश भी हुआ करता था की चलो हम तो अपने बचपन के समय में इतनी नहीं मगर कुछ विशेषताओ के साथ भी बहुचर्चित नहीं हो सके मगर यह तो हो रहे है |  मेरे पापा अक्सर कहा करते थे कि "इस टैलेंट हंट शो की वजह से इन बच्चो का भविष्य ज्यादा अच्छा नहीं रहेगा, क्योंकि बचपन भी इस शो की वजह से गायब हो रहा है, छिन रहा  है| जिनके पास पैसा आ गया वह तो बहुत खुश और जिनके पास असफलता

शिक्षक दिवस का मेहत्व

उदहारण के तौर पर अभी हाल ही में भारत में शिक्षक दिवस मनाया गया था, जिसे हमारे प्रधान मंत्री जी ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित करवाया और मनवाया भी | मुझे कुछ बात तथ्यों के आधार पर नहीं लगी, जैसे हम कभी कोई दिन विशेष दिन की तरह मनाते है तो हम उस दिन में कुछ विशेष ढूंढ़ते है और कुछ विशेष नहीं मिले तो ज़ाहिर है नहीं मानते, खास तौर पर शिक्षक दिवस जिस इंसान को याद करते मनाया गया वह मेरे हिसाब से कुछ ऐसा नहीं था जो मुझे उस दिन को मानाने के लिए उत्साहित करे | मेरे हिसाब से कोई भी दिवस मानना तब जरुरी होता है जब वह सही में विशेष दिवस के लिए सर्वापरि हो| शिक्षक के तौर पर हमारे देश में सबसे पहले कोई आया है तो वो सिर्फ ज्योतिबा और सावित्री बाई फुले है और हमें शिक्षक परम्परा के हिसाब से हमे यह दिन मतलब शिक्षक दिवस 3 जनवरी को मानना चाहिए |  मगर हमारे प्रधान मंत्री जी ने यह दिन पूरी तरह से थोपने की कोशिश पूरा दिन जारी राखी, स्कूलों ने न चाह कर भी यह दिन प्रधान मंत्री जी के तरीके से मनाया | सर्वपल्ली राधाकृष्णन, बतौर हमारे दुतीय राष्ट्रपति रह कर ऐसा कुछ कार्य नहीं कर सके जिससे हम कुछ प्रेरणा मिले,