भारत में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता का एक गमगीन सफ़र

हमारे देश में वैसे तो बहुत सारी राजनीतिक पार्टियाँ हैं| अपने किये संघर्ष के बलबूते पर आज यह बड़ी पार्टियों  के रूप में उभर कर आ रही हैं| भारत में यह कांग्रेस, बीएसपी, बीजेपी, अकाली दल, सीपीआई, सीपीएम जैसे और भी बहुत सी पार्टियों के रूप में उभर कर आई हैं जिनका मैदानी संघरस काफी काबिले तारीफ रहा हैं| हम जब भी इन सब पार्टियों को याद करते है तो हमे सिर्फ गिने चुने लोग ही याद आते हैं, और अगर हम उस पार्टी के समर्थक है या प्रशंशक है तो हो सके मुश्किल कुछ और लोगो के नाम याद आ जाए |

भारत एक लोकतान्त्रिक देश के रूप में विश्व में प्रचलित हैं. लोकतंत्र माने - लोगो का तंत्र, जहा लोगो को अपनी समाज के प्रति हिसेदारी रखने, अपने बिच से सही व्यक्ति को पुरे समाज के लिए प्रतिनिधि चुनने का पूरा हक हैं| लोकतंत्र का सही मतलब हम में से बहुत से लोग शायद समझ नहीं पा रहे है या फिर जानना ही नहीं चाहते है| राजनीति में लोकतंत्र का वजूद अब अपने मुद्दे से बिखरा हुआ सा लग रहा हैं यहाँ हर पार्टी अपन झंडा लहराने में महारत हासिल कर चुकी है चाहे वो भारत हो या कोई और देश| मगर हममे से किसी ने भी कभी उन लोगो के बारे में सोचा हैं जिनका जीवन उन राजनीतिक पार्टी को बनाने में गुज़र गया जो आज बड़ी पार्टियों के रूप में सामने हैं| कभी सोचा है वो कौन है जिन्होंने इस पार्टी को उस ऊंचाई तक लाके खड़ा किया| मैं इस बात से पर्दा नहीं कर रहा की जिनकी यह पार्टी है उनका पार्टी को बनाने में कोई योगदान है ही नहीं| मगर बनाना और उसे स्थिर रखके आगे तक लेकर चलना, दोनों में बहुत अंतर हैं साहब.....

कभी आप उन लोगो से मिले है जिन्होंने अपने पुरे जीवन को यह कह कर बिता दिया "समाज को मेरी जरुरत है मुझे इस कारवां (मिशन) को आगे लेकर जाना ही पड़ेगा " जब आप उनसे पूछेंगे की आप का उथान आपका परिवार का पालन पोषण कैसे पूरा होगा कभी सोचा है आपने, मगर यह वो लोग होते हैं जिन्हें पैसे का लोभ और रौशनी के साथ मंच की चमक से कोई मतलब नहीं होता, इन तरह के लोगो को अपने जीवन निस्वार्थ  व्यतीत करते है और अपने परिवार को समय न देते हुए अपनी पार्टी को अपना सारा जीवन देते हैं इन लोगो को सरल तौर पर समझने के लिए हम अपनी ही भाषा में कट्टर समर्थक भी कहते है |

वैसे तो मैं एक छात्र ही हूँ जो आज की इस यंग जिसे हम नौजवान पीडी कहते है से संबंध रखता हूँ | यह बात भी है की आज कर की नयी पीडी ज़मीनी हकीक़त से दूर भागना चाहती है | शायद यह बात इस नयी पीडी को चुभती है की समझ में असल में क्या हो रहा है, और जो हो भी रहा हैं क्या वो सही है या गलत | मगर इस पीडी से संबंध रखते हुए भी मैं समाज को समझने की हर भरषक कोशिश करता रहता हूँ | मैं यह नहीं कहूँगा की मैंने यह बातें सिर्फ और सिर्फ अपने दिमाग में उपजा कर आप लोगो के समक्ष रखने की कोशिश कर रहा हूँ| मगर असिलियत मैं यह सब एक हकीक़त हैं वो भी इसी समाज में और वो भी आपके ही समक्ष,....

खैर बातें तो पार्टी में बैठे सब ही लोग करते हैं समाज को लेकर, उसकी कमियों को लेकर,
मगर असिलियत में पुर कौन करता हैं यह कहना बड़ा मुश्किल हैं | मेरी बातों को बेबुनियाद न समझे...... थोडा अपने मस्तिक्ष पर जोर डाले| निचे दिए लिंक पर क्लिक करे और समझे.....
http://www.ndtv.com/video/player/prime-time/video-story/315344?hphin

एक कार्यकर्ता का योगदान एक पार्टी में कितना होता हैं |

राहुल विमल
छात्र- मास्टर इन मास कम्युनिकेशन
गौतम बुद्धा यूनिवर्सिटी
इंडिया 

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