पक्षपाती क़ानूनी सी नज़र

कल दिनभर टीवी पर चर्चा होती रही की निर्भया बलात्कार कांड का आरोपी जिसे हाई कोर्ट ने रिहा करने का फ़ैसला सुनाया वो सरासर ग़लत है और उस आरोपी को रिहाई नहीं मिलनी चाहिए। पूरे दिन मुख्यधारा की मीडिया ने ऐसा समाचार दिखाना शुरू किया जैसे देश का सबसे बड़ा देशद्रोही आज ही रिहा हो रहा है। सबसे बड़ा अपराधी नहीं होना चाहिए रिहा अगर हुआ तो इससे देश में बहुत बड़ा नुक़सान हो जाएगा और वगेरा -२ । मगर असल बात तो कुछ और है जनाब। यह सब न्याय की बात नहीं यह तो सब जातिवाद की वजह से हो पाया है। इसे इस तरह से समझ कर देखते है, आपके घर में ५ लोग है। बहुत सालों से ख़ुशी ख़ुशी रह रहे है और आपके पड़ोस में भी एक परिवार से ५ ही लोग है वो भी ख़ुशी से रहते है। इत्तिफ़ाक़ से दोनो एक ही जाति के निकलते है। उनके सामने वाली गली में एक दूसरी जाति का परिवार रहता है। वो परिवार इन दोनो परिवारों से शैक्षिक तौर पर व सामाजिक तौर पर बहुत ऊपर है मगर उच्च जाति व नीच जाति के अंतर के चलते वो दोनो परिवार उस सामने वाले परिवार को हींन भावना से देखता है। इसीलिए नहीं की वो ज्ञानी है मगर हाँ वो नीच जाति का परिवार है। एक दिन...