लालच के भेट चढा चेन्नई का शहर

पुरे दुनिया में जिस तरह से मौसम बदल रहा उससे एक ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले कुछ सालों में इंसानी जीवन का खात्मा निश्चित है। 
(Photo- Indianexpress.com)

चेन्नई में पिछले 17 दिनों से बे मौसम बरसात की वजह से वहां का जीवन अस्तव्यस्त हो चूका है। इसका सबसे बड़ा कारण वहां के प्राकर्तिक संसाधनों पर सरकार व गैर सरकार द्वारा कब्जा कर लेना। NDTV प्राइम टाइम में खुलासा हुआ था की वहां पर जितने भी तालाब, सुखी नदी, नहर थी व सब सरकार ने ईमारत बना कर ख़तम कर दी और बाकि सोसाइटी बना कर। चेन्नई में पानी के रुकने का सबसे बड़ा कारण पानी ने निकलने की जगह न होना। 
आख़िर क्या कारण रहा होगा इस आपदा से होने वाले नुक़सान का। चेन्नई में आज लोग अपनी घरों की छतों पर ही अपने जीवन को व्यतीत करने के लिए बेबस है। यह लोग अपना ज़्यादातर समय अससमान को देख कर कोसने में लगा रहे होंगे। चेन्नई की सरकार व निजी संस्थाओ द्वारा किया गया अतिक्रमण आज इन लोगों के जीवन को अधर में छोड़ गयी है। 
दुनिया में अभी तक मौसम बदलाव पर काफी फिल्म भी बन चुकी है जो सीधा मानव जीवन के खत्म होने का संकेत देती है। उदहारण के लिए हॉलीवुड में बनी फिल्म 2012 जो संकेत देतीे है पूंजीवादी समाज के जीवन के बचने का। 

लोगों को समझ में नहीं आ रहा है, जिस तरह से यह लोग पूंजीवाद समाज का जानेअनजाने सहयोग कर रहे है व इस बात से बेखबर है की पूंजीवादी समाज मानवता वादी सोच नहीं रखता। 
आतंकवाद तो बस एक थोड़े समय की परेशानी है। बाद में तो आपका घर भी पानी के अन्दर होगा । तब क्या करेंगे आप।
संकट के आने पर ही लोगों को ध्यान आता ही की आपदा आ गयी है। उससे पहले आपदा के आने के कारण को नज़र अन्दाज़ करते यह लोग कितने मतलबी लगते है।....

आप नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करके पढ़ सकते है। यह आपदा प्राकर्तिक आपदा नहीं है। और यह संकेत भी है सभी के लिए जो इस आपदा को देख कर ओह, हाए कर रहे है मगर भविषये के बारे में नहीं सोच रहे है। 




राहुल विमल 

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