गरीमा Greatness, Proud


“मैंने कभी किसी को हर्ट नहीं किया है। अगर यकीन नहीं आता तो आप बाकियों से पुछ सकते हो की मेरा नेचर कैसा है।”



हर इंसान अपने आप मे ही अलग होता है। मगर आपको पता तभी चलता है जब आप उस इंसान से मिलते है और बात करते है। ठीक उसी तरह जैसे की फलो की मिठास का तो तभी पता चलता है जब आप उसे चखते है, ठीक उसी तरह। कभी कभी आप दूसरों की बातो मे आकार एक बात मन मे बैठा लेते है उस इंसान के बारे मे जिससे आप पहले कभी मिले ही नहीं। मगर जब आप उस इंसान से गलती से मिलते है तब आपको यकीन होता है जो मेने सोचा था वो कुछ ओर ही था यह तो कुछ ओर ही है।

समय का कभी पता नहीं चलता की कब यह करबट ले ले और क्या हो जाए। जिसे आप जानते भी नहीं उसी ठोडी ही देर मे बात भी करने लगते है और जिसे आप काफी समये से जानते है उनके साथ वक़्त बिताने की लिए भी वक़्त नहीं। कड़वा है मगर सच है। कहा तो यह भी जाता है की जिसके बारे अपने कभी सोचा भी न वो ही आपको मिलता है ओर आप उसेके साथ खुश रहते है।  

मेरी यह कहानी भी कुछ इसी तरह की है। यह कहानी खुशी, सोच और जिज्ञासा पर आधारित है। यह कहानी उस एक दिन के बारे मे है जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था। कहानी की शुरुआत होती है गेट न॰ 4 से यह गेट न॰ 4 यूनिवरसिटी का है। मै एक लड़की से कॉलेज मे मिला जो किसी के साथ बात कर रही थी। उसे देख कर लग नहीं रहा था की उसे किसी भी तरह की तकलीफ होगी या फिर किसी भी तरह की परेशानी, मगर कहते हैं न की लड्कीया हमेशा लड्कीया ही होती है। उसे आए हुए देर भी नहीं हुई और बोलना शुरु। कहते है हमारे समाज मे लड्कीया काफी डरी सहमी होती है मगर उसे देख कर लग ही नहीं रहा था की वो भी लड़की है। उस लड़की मे एक बात थी जो उसे दूसरों से अलग रखती थी। वो है उसका बर्ताव(बात करने का तरीका) जिस तरह वो लोगो से बात करती थी देख के लगता था की आप किसी अपने से मिल रहे है। मगर हमारा समाज जिसे हम जानकार भी नहीं जानते। अगर कोई लड़की खुल के रहना चाहती हो तो वो गलत है।

उस लड़की का बात करने का तरीका दिलखुस मिजाज था। मेरी पहली मुलाक़ात उससे यूनिवरसिटी मे ध्यानकेंद्र के पास हुई। वहा मैंने उससे थोड़े देर ही बात की क्युकी मै अपने काम मे व्यस्त था। मै अपनी ही यूनिवरसिटि कार्यक्रम करने की तयारी मे थोड़ा व्यस्त था। और मुझे उस कार्यक्रम मे एक प्ले के लिए लड़की चाहिय थी। तो इस तरह से मेरी उससे मुलाक़ात हुई। मुलाक़ात एक अंजान की तरह ही हुई ओर खतम भी एक अंजान की तरह हुई। उसने अपनी पूरी मेहनत से मेरे इवैंट को कामयाब बनाया। फिर हमारी मुलाक़ात मेरे दूसरे प्रोग्राम मे हुई जहा पर मै अपने एक बैंड के साथ स्टेज पर शो कर रहा था। जब मेरा शो खत्म हुआ तो मुझे पता नहीं क्या हुआ और मै पीछे चला गया ओर दीवार के सहारे खड़ा हो गया तभी मेरी उस लड़की से दूसरी बार मुलाक़ात होती है। उसने सबसे पहले बधाई दी फिर मुझे गले लगाया। ओर बहुत खुश हुई। ओर कहने लगी की “आप मेरा साथ रहिए थोड़ी देर मै आपके साथ थोड़ा समय बिताना चाहती हु” ओर फिर मे थोड़ी देर खड़ा रहा मगर मे ज्यादा समय नहीं दे पाया। क्युकी मेरे म्यूजिक इन्स्ट्रुमेंट स्टेज पर ही थे। तो मुझे उन्हे भी देखना था, तो मुझे वहा से जाना पड़ा। और कहा मुझे जाना है ओर उस का चेहरा थोड़ा उदास हो गया पता नहीं क्यू मगर मुझे लगा की मेने अपना समय ठीक से नहीं दिया। ओर मै वहा से चला गया। फिर हमरी मुलाक़ात यूनिवरसिटि की लाइब्ररी मे होती है और वो बहुत खुश हुई ओर बोली “कैसे है आप काफी समय बाद मिले, आपको पता है मेने काफी मिस किया आपको मगर, चलो छोड़ो यह बताओ पार्टी कब दे रहे हो अपने शो की” मेंने कहा “आप जब चाहो” तो उसे बिना कुछ सोचे समझे कहा की “कल मूवी ही दिखा देना, आपके साथ थोड़ा समये बिता सकूँगी और पार्टी की पार्टी हो जायगी.” फिर हम लोग अपने अपने रास्ते चले गए।
अगले दिन हम लोग गेट न.4 से ऑटो मे बेठते है ओर मूवी के लिए चल पदते है। पता नहीं क्यू मुझे ऐसा लग रहा था। वो सिर्फ मूवी के लिए ही नहीं बल्कि कोई और वजह से मेरे साथ चलना चा रही हो। मगर मैने उसे कुछ नहीं कहा और न उससे कुछ पूछा। फिर हम दोनों बात करते रहे और सफर का करवा आगे बदता गया। कभी वो कुछ कहती, कभी मे कुछ कहता और हम मंजिल की और बदते गए।

कहते है बहुत सी बाते ऐसी होती है जो बिन बोले बयान हो जाती है। और यह सच भी है अगर आप किसी इंसान को बहुत ध्यान से देखते है तो आपको खुदबखुद पता चल जाता है की बात क्या थी ओर क्या कहा गया।
21वी सदी की अगर हम बात करते है तो एक ही चीज़ हमारे ज़्हहन मे आती है वो है मोबाइल। हम आज हर चीज़ के बिना रह सकते है मगर मोबाइल के बिना नहीं। और यह सच है आप एक बार खाना. खाना भूल सकते है मगर मोबाइल फोन पर नोटिफ़िकेशन का इंतज़ार आप नहीं भूल सकते। ऐसा ही कुछ यहा पर भी था। खास तौर पर लडकीया एलेक्ट्रोनिक प्रेमी नहीं होती मगर अगर कोई लड़कियो में होता है तो वो बहुत ज्यादा होता है। फिर क्या था इन मेमसाहब ने अपना आईफोन निकाला ओर फेस्बूक शुरू। और अपनी फोटो को दिखाना शुरू कर दिया। और हाँ में यह नहीं कहूँगा की वो दिखा रही थी मगर मेरा ही मन नहीं था। वह बात दरअसल अलग थी मेरा भी मन करने लगा की फोटो देखने चाइए। और में देखता गया और फोटो के बारे मे बात करता गया। हम बस पहुचने ही वाले थे की अपनी घड़ी देख कर बोली  “ओह॥हमारे पास तो समये रहा नहीं मूवी के लिए.........., मगर इसका मतलब यह नहीं की में आपको छोड़ दूँगी, आए है तो थोड़ा घूम भी लेंगे” और फिर हम ऑटो से उतर कर चलने लगे तभी हमे उसी वक़्त रोड पार करना था और वो भी एक्सप्रेस वेय आप सोच ही सकते होंगे की कितना ट्रेफिक रेहता होगा एक्सप्रेस वेय पर। तो क्या था मेंने जैसे ही रोड पार करने के लिए कदम आगे रखा तभी उसने मेरा हाथ उपर की तरफ से कस कर पकड़ लिया ओर केहने लगी “मुझे रोड पर करने मे डर लगता है” पता नही क्यू ऐसा लगा की में किसी ऐसे के साथ गमने आया हु जो बहुत मासूम है ओर इजहार तो ऐसे कर रही है जैसे सब कुछ जानती हो मगर असलियत मे वो अभी भी मासूम है। ओर यह बात मुझे रोड पार करते समये पता चली।

वो बहुत कुश थी उसके हाव भाव देख कर ऐसा लग रहा था जैसे आज उसकी तम्माना पूरी हो गयी हो, उसे कुछ ऐसा मिल गया है जो उसे काफी समये से उसकी चाह मे था मगर आज से पहले मिला नहीं। हम लोग मॉल के अंदर गए और पता होने के बाद भी की मूवी के लिए समय नहीं है फिर भी हम काउंटर पर गए की शायद कोई शो हो जो हम देख सके। मगर कहते है न आप के कहने से दुनिया तो नहीं चलती और यह सही बात भी है। फिर उसका कहना की “चलो मूवी नहीं तो मॉल ही सही” फिर माना तो में कर नहीं सकता था क्युकी आमंत्रित जो किया था।

फिर हम घूमने लगे और बाते करने लगे। कभी हम मॉल के फर्श पर बेठ्ते, तो कभी सीडियो पर, कई बार तो हमे उठना पड़ा बात करते करते क्युकि गौर्ड को पसंद नही की कोई लड़का लड़की मॉल मे काफी भी बेठे। फिर बाद मे गौर्ड तो तंग होकर हमे एक रास्ता बताना पड़ा ओर उसना कहा की “अगर आपको कही बैठना है तो मे आपको बताता हु कहा” और उस गौर्ड ने हुमे ऐसी जगह बताई जो की शायद किसी को पता हो। फिर हमने वह जाकर एक सुकून की सांस ली और बाते कर्ण शुरू केआर दिया।
जब लड़का लड़की साथ बैठे हो ओर वो भी अकेले मे तो आप सोच ही सकते है की महोल कितनी जल्दी बदलता है।...................

मगर आपको अभी निराशा होगी यह जानकार की वहा ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

जैसा की मीने पहले भी बताया की उसका मन कुछ कहना चा रहा था मगर वो कह नहीं प रही थी। ओर वो क्यू यह तो मे भी नहीं जानता था। थोड़ी देर मे उसने मुझ से एक सवाल पूछा “क्या आपकी कोई गर्लफ्रेंड है” 

मैने कहा “नहीं, क्यू ऐसा क्यू पूछा” तो उसने कोई जवान नहीं दिया। और कुछ ओर बाते करने लगी थोड़ी ही देर मे उसने एक खेल खेलने के लिए कहा। मेंने पूछा “क्या होगा खेल खेल कर” उसना कहा यह एक ऐसा खेल है जिससे मे जो जानना चाहती हु वो मुझे पता चल जायगा। मेंने पूछा “ऐसा कोनसी बात है जो तुम खेल से जानना चाहती हो” उसने कहा “आप ज्यादा सवाल ना करे यह बताए खलेंगे या नहीं  मेंने कहा “ठीक है अगर इस खेल से तुम्हें कुछ जानकारी मिलते है मेरे बारे मे तो खेलते है” और हमने खेलना शुरू केआर दिया।

वो खेल मेंने अपने जीवन मे पहली बार खेला था और मुझे नहीं पता था की उस खेल से क्या क्या हम जान सकते है। उस खेल मे बहुत सारी बाते ऐसी थी जिसे हम आमतौर पर बात करने से नहीं निकाल सकते मगर उस खेल से निकाल सकते है।

मुझे उस खेल का नाम तो याद नहीं मगर मे यह बता सकता हु की उसे हम खेलते कैसे है। इस खेल मे आपको सामने वाले से कुछ भी पूछना है ओर तभी सामने वाले को जो भी उसके मन मे पहला जवाब हो वो बोलना है अगर सामने वाला एक शब्द के बाद रुक गया तो इसका मतलब की वो शब्द उस इंसान के जीवन मे काफी महत्व रखता है या फिर वो शब्द कोई किरदार निभाता है। और तभी आप पता लगा सकते है की उस इंसान को किस बात से परेशानी है या थी। और ऐसा कुछ मेरे साथ हुआ। 

मुझे पता था की वो क्या पता करना चा रही थी मगर कहते है न समय से पहले कुछ हुआ है न हो सकता सिर्फ यही बात को ध्यान में रख कर और मेने भी वैसा ही किया मेने भी उसे एहसास कराया की मुझ ऐसा कुछ भी नहीं समझ आ रहा। क्यों वो यह खेल खेल रही है, और खेल आगे बढता चला गया।

उस खेल को खेलने के बात एक बात का एहसास हुआ की जरूरी नहीं आप को कुछ जानने के लिए उससे बात करना ही पड़ेगा। और दूसरी बात कभी कभी खेल खेल मे वो बात इंसान बोल सकता है जो वो कभी भी आमतौर पर नहीं बोल सकता और यह सत्या है।

इंसान की ज़िंदगी मे बहुत से मोड ऐसे आते है जो आपको ऐसी जगह ला कर खड़ा कर देते है जहा से आपका निकाला बहुत ही मुश्किल हो जाता है। और उसका मोड का और कोई रास्ता भी नहीं नजर आता। 

कई बार यह मोड बहुत कुछ दिखा जाते है, बता जाते है, ओर बहुत कुछ हवाओ के जरिये सुना भी जाता है और यह सब बात हम पर निर्भर करती है की आप उस हरकत को कैसे देखते है, समझते है। 

कई बार यह अनजाने मोड़ आपको ऐसे जगह छोड़ जाते जहा आप किसी की आस में बैठे रहते है और आखिर में  वो आस खत्म हो जाती है मगर जिसके लिए बैठे थे वो कभी नहीं आता।

और यह सफ़र भी मुझे कुछ इसी तरह के मोड़ पर छोड़ कर कही दूर चला गया है जहा आस की बूँद खत्म कम होती जा रही है और सहारा भी दूर तक नहीं दिख रहा...।





Rahul Vimal
Student of Master Mass Communication
Gautam Buddha University
India

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