सामाजिक बदलाव की कहानी “नाला काजी पाड़ा से टर्की तक” - सुनील विमल

आज मैं आपके साथ एक बदलाव की कहानी साझा करना चाहता हूँ। यह कहानी Jay Prakash की है। एक ऐसा बदलाव का सफ़र जो “नाला काजी पाड़ा, आगरा से टर्की तक” बयान होता है। इस सफ़र की शुरुआत उत्तरप्रदेश के शहर आगरा के छोटे से इलाक़े ‘नाला काजी पाड़ा’ से शुरू होती है । 8/10 फ़ीट के घर में रहकर वह उन ऊँचाइयों को छूता है जिसकी कल्पना शायद किसी ने कभी की ही नहीं थी।

जय के बदलाव का सफ़र इंटरस्कूल से शुरू होता जब वह पढ़ाई को समाज में सही तौर पर इस्तेमाल करने के लिए पढ़ने कि ठानता है नाकी अच्छे अंकों के लिये। शुरू से ही उसका नाम होनहार विद्यार्थियों की तालिका में अवल दर्जे पर दर्ज होता रहा है। उसकी सोच रही है कि पढ़ाई ज्यादा अंक लाने के लिये नहीं बल्कि, जो भी पढ़ा है उससे जीवन कैसे कामयाब बनाया जाए।उसका सपना था की उसे स्कूल के बोर्ड पर नाम लिखवाना है जहाँ से उसके नाम चाहकर भी कोई मिटा न सकें। जिसे उसने हासिल भी किया, जिसकी मुझें बहुत खुशी है।


घर के बाहर नाले की एक तस्वीर

यह बात सन 2011 की है जब उसका नाम दो इंजीनियरिंग कॉलेज की चयनित हुआ था। वह दिल्ली इंजीनिरिंग कॉलेज (DCE) के जगह गौतम बुद्धा विश्वविधायलय (GBU) को इंजनीयरिंग की पढ़ाई के लिये चुना। यह चुनाव आसान नही था। घर के आर्थिक हालात और पढ़ाई के खर्चे का बोझ परिवार के लिये मानसिक दवाब पैदा कर रहा था। घर के आसपास पढ़ने का माहौल कभी नही रहा। उदम-बाजी शोर-शराबा, घर के आसपास आम बात थी। इस वजह से भी उसने पढ़ाई में बहुत कठिनाई का सामना किया। जय के इलाके को नाला काजी पाड़ा इसीलिए कहा जाता है क्योंकि घर के सामने एक छोटा सा नाला बहता है और यह इलाक़ा जाटवों की बस्ती के नाम से भी जाना जाता है।आप देखेंगे सरकार अक्सर इन क्षेत्रों में मूलभूत जनसुविधाओं को उपलब्ध कराने में नाकाम रहती है इसलिए यहाँ शिक्षा का स्तर बेहद खराब रहता है। इन कारणों से अशिक्षित व बेरोजगार लोगों की संख्या इन क्षेत्रों में ज्यादा रहती है।


बारिश के बाद जय के घर से ली गयी तस्वीर। नाले के पानी घर में घुसता हुआ। फ़ोटो: दीपक विमल (फ़ेस्बुक)

अक्सर आगरा के बाहर रहने वाले लोग एक कहावत कहते थे, कि चमार/ जाटव का लड़का या तो जूते का काम करेगा या मज़दूरी और यही बात देखने-सुनने को मिलती भी थी। मगर Jay ने इस सोच को अपनी मेहनत व लगन से पूरी तरह पलट दिया है और कहावत के नाम पर उसका मनोबल तोड़ने वालों को करारा जवाब दिया है। उसकी सफलता ने क्षेत्र के बाक़ी समुदाए के लोगों को भी कई दफ़ा प्रेरित किया। उसकी कामयाबी इस बात से भी आंकी जा सकती है, उसने सीमित संसाधनों व कठिनाइयों में अपने होशले व हिम्मत को टूटने नही दिया। निरतंर अच्छे लोगों के मार्गदर्शन में अपना काम करता रहा। जय एक अच्छा विपश्यना साधक भी है। शायद यह भी एक वजह है कि वह काम मे निरंतरता और सयंम बनाये रखता है।

हम आपको सभी को बताना चाहते है कि जय की परिवारिक हालत इतनी अच्छी नहीं रही की वह इंजीनियरिंग की भी पढ़ाई अपने खर्च से कर पाता। घर में 5 भाई होने की वजह से संसाधन की कमी हमेशा से रही। अक्सर कॉलेज के दिनों में भी Jay घर की आर्थिक मज़बूती के लिए 5-5 घंटे काम भी करता था। वह सुबह 5 बजे से लेकर रात 11 बजे तक घर का काम करते हुए बीच बीच में अपनी पढ़ाई करता और बाहर के सभी काम भी स्वम करता।


वह शुरू से ही सोच समझ कर फ़ैसले लेने के लिए बहुत साफ़ रहा है। उसने दूसरों की गलतियों से सीख लेना सीखा है। बड़ो के तजुर्बा को इस्तेमाल कर आगे बढ़ना सीखा है। वह आज भी समय सारणी का कड़ाई से पालन करता है। जो तय किया है उसे समय रहते करता है। कभी कभी सही ग़लत की पहचान वो मुझसे पहले कर लेता है। इसकी मेहनत पर कभी शक नहीं हुआ, स्कूल स्तर पर हर साल प्रतियोगिताओं (लेख, खेल या कोई क्विज़ ही क्यों ना हो) में विजय रहा। जय ने अपनी मेहनत व लगन की वजह से 10 वी और 12वी में आगरा मंडल में टॉप किया जिसके लिए उसे हिंदुस्तान अख़बार के प्रशंसा पत्र भी मिला। उसे उसके स्कूल वालों ने भी स्कूल का नाम रोशन करने के लिये सम्मानित किया। सबसे बड़ा सम्मान आगरा बुद्ध विहार के बड़े भन्ते जी ने किया, उन्होंने उसे जरूरत पड़ने समय दिया व भविष्य का मार्गदर्शन किया। अपने काम करने की लगन की वजह से Jay को भारत में प्रमुख सिविल डिपार्टमेंट के क्षेत्र में CSIR-CBRI IIT रूरकी से अपना M.Tech का डिज़रतेसन लिखने का मौक़ा मिला। उसने TATA Steel जमशेदपुर अथवा DMRC दिल्ली से ट्रेंनिग प्राप्त की और ट्रेनिंग में अपने काम से लोगों को बहुत प्रभावित किया।

वैसे देखा जाए तो जय बहुत शांत, एकाग्र व शर्मिला व्यक्ति रहा है और यह बात मेरे जानकारी में जितने भी लोग मिले है उन सबसे यह सुनने को मिली है। जय GBU में स्कूल और इंजनीयरिंग में लगातार साल 5 सालों तक अपने काम, पढ़ाई के लिए जाना जाता रहा। उसने अपना योगदान सामाजिक व सांस्कृतिक बुद्धिम कार्य मे बहुत बार दिया है। जय शुरू से ही काम करने में विश्वास रखता रहा है और किसी भी तरह के दिखावे के लिए विरुद्ध रहा है। और इन्हें सब विशेषताओं की वजह से, उसकी तारीफ उससे मिलने वाले आज भी करते है।

आज Jay Prakash अपनी मेहनत व लगन की वजह से Turkey सरकार के ख़र्चे पर Ph.D. के लिए सुबह रवाना हुआ है। यह पल परिवार के लिए एक गौरव की बात है जिसे मैं आज आप सबके साथ बाटना चाहता हूँ।


Sunil Vimal
Social Worker and Engineer

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