अगली रेल दुर्घटना के लिए तैयार रहें!

अगली रेल दुर्घटना के लिए तैयार रहें...निजीकरण के स्वागत मे इंसानों की बलि दी जा रही है भारतीय रेल मे।

भारतीय रेल मे अपनी संचार व्यवस्था हुअा करती थी। MTNL और BSNL से अलग। दो तरह के फोन थे एक हैण्डल घुमा कर डायल होता था दूसरा साधारण फोन की तरह हुआ करता था। जब 7 digit के MTNL नंबर हुआ करते थे तब रेलवे का साधारण फोन 4 digit के नंबर हुआ करते थे। ये फोन रेलवे की अस्पताल की एंबुलेंस सेवा और डाॅक्टरों के कमरो मे लगे दिखते थे। रेलवे अफसर के घरों मे भी हुआ करता था ये फोन। इस फोन को अटेण्ड करने के लिए बाकायदा telephone attendent and Dak khalasi हुआ करता था। दूसरा हैण्डल घुमाकर डायल करने वाला फोन रेलों को दौड़ाने के लिये काम मे लाया जाता था। ये रेलवे की हाॅटलाइन था।

रेलवे का Signal and Telecommunication Department इसी संचार विभाग मे रेलों को चलाने के लिए टोकन व्यवस्था भी थी। आपने देखा होगा इंजन ड्राइवर दौड़ती गाड़ी से एक बड़ा सा छल्ला फेंकता था। एक दूसरा छल्ला थोड़ा आगे खम्बे पर लटका होता था जिसे ड्राइवर झपट लेता था। अगर वो इसे न झपट पाता तो गाड़ी रोक देता था। इसी छल्ले मे लोहे की एक बड़ी गोली चमड़े मे लिपटी होती थी। इसे ही टोकन कहस जाता था। ड्राइवर द्वारा फेका गया टोकन उठाकर स्टेशन मास्टर को पहुँचाया जाता था। स्टेशन मास्टर इस टोकन का नंबर को हैण्डल वाले फोन का हैण्डल घुमाकर पिछले स्टेशन को सूचित करता था। इस प्रकार ये कन्फर्म हो जाता था कि पिछले स्टेशन और इस स्टेशन के बीच कोई ट्रेन नहीं है।
दो स्टेशनो के बीच रेलवे फाटक का गेटमैन और पावरकेबिन भी होते थे, जो इन्हीं हैण्डल वाले फोन से गाड़ियों की स्थिति की सूचना स्टेशनों को देते थे। मेरा एक गेटमैन दोस्त है उसने मुझे इस हैण्डल वाले फोन को चलाने दिया था। बचपन मे पिताजी के साथ कभी-कभी जब पावर केबिन जाता था तो इन फोनो को देखा था।
दो स्टेशनों के बीच एक गैंगमैन लंबा सा हल्का हथोड़ा लेकर रेल ट्रैक को ठोकता हुआ चलता था। सर्दी, धूप, बरसात, रात, घना जंगल कुछ भी हो ये गैंगमैन अकेला चलता था। कुछ ट्रैक अंधेरी गुफाओं और राष्ट्रीय उद्यानों से होकर गुजरते हैं। राजाजी नेशनल पार्क की रात की भयावहता को मैने महसूस किया है।
BSF के जवान से कम नहीं होता रेलवे का गैंगमैन।
बिना टोकन और फोन संपर्क के स्टेशन मास्टर, गेटमैन, गार्ड और ड्राइवर एक दूसरे को क्लियरेंस नहीं देते थे।
ट्रैक की मामूली से मामूली कमी की खबर गैंगमैन को होती थी। ऐसी मुस्तैदी होने पर दुर्घटनाएं कम ही होती थीं।
अब ये पूरा विभाग ठकेदारी की भेंट चढ़ चुका है।
लेकिन अंबानी ने प्राइवेटाइजेशन का दबाव ऐसा बना रखा है कि चापलूस सरकारों ने गैंगमैन की भर्तियाँ ही बंद कर दीं।
पिछले 10 सालों से signal & Telecommunications मे कोई भर्ती नहीं हुई है।
ऐसे मे दुर्घटना होगी ही, और रेल को प्राइवेट करने का बहाना मजबूत होगा ही।
मुनाफाखोर नरभक्षी होता है।


Padam Kumar
Marxist, Advocate, and Trade Unionist
Organisations:
Secretary at Revolutionary Democracy, (Mother organization and journal) Founder Member of Indian youth for revolutionary changes (youth and theater wing) Founder of National Open Student Federation (Student organization)

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