ख़ुद भी हों संघर्ष में शामिल

11 मार्च 2017 से यूपी के चुनावी नतीजे के बाद लोगों ने अपने अपने नज़रिये से इस चुनाव को ख़ासतौर से मायावती के चुनावी रणनीति पर तर्क वितर्क करना शुरू कर दिया है। कमाल की बात यह है, इनमे से ज़्यादातर लोग वो है जिन्होंने समाज में एक दिन भी नहीं दिया।

सोशल मीडिया पर बहुत समय से यह देखा भी गया है कि कुछ लोग अपने द्वारा किए गए काम के क्रेडिट ना मिलने की वजह से आरोप प्रत्यारोप के रास्ते पर चलने लगते है और उनका दर्द एक हद तक समझा जा सकता है। मगर यह कहाँ तक स्वीकार करने योग्य की आप किसी व्यक्ति-विशेष को खुले आम ख़ुद के निजी स्वार्थ न पूरा होने की वजह से बदनाम करने लगे?

इस समाज में आप शायद दूसरे पीडी हो सकते है जो पढ़ सके है, विश्वविध्यालय देख पाएँ है, ग्लोबल स्तर के उपकरणों तक पहुँच बना पाये। ऐसे बहुत से आपके समाज के लोग है जो शायद पहली पीडी है ही है जिनकी संख्या लाँखो में है, और आप अभी से है इस समाज के बने पुराने ढाँचे को आधा अधूरा समझ कर अपने ही समाज को ही कोसने लगे, यह कहाँ से सही है?

आपको पहले अपने समाज को देखना होगा, उसके इतिहास को समझना होगा कि, आपके समाज में क्यों आपके लोग जुड़ने से पहले अलग होने की प्रक्रिया में चलने लगते है? आख़िर ऐसा क्या कारण है जो वो अपने समाज के लोगों की बात सुनने से पहले जवाब देने लगते है?

आपको समझना होगा कि कहीं तो कुछ दिक़्क़त है जिसे ध्यान से देखने व समझने की ज़रूरत है वरना आक्रोश में अथवा बिना ज्ञान के अधिक से अधिक किया गया काम भी आपकी पहचान को धूमिल कर सकता है। पाँच राज्यों के परिणाम आने के बाद यादातर लोगों ने परिणाम को स्वीकार कर लिया है लेकिन कुछ लोग है जो लोकतंत्र बचने के लिए EVM के विरुध आंदोलन चला रहे है।

सत्येन्द्र मुरली, वरिष्ठ पत्रकार (DD न्यूज़) EVM घौटाले के मामले कहते है “यह कहना तो बहुत ही सामान्य सी बात है कि मैं दूसरो को हरा देता हूं, तो कभी दूसरे भी मुझे हरा सकते हैं. लेकिन चूंकि मुझे गलत तरीके से हराया गया है, तो मैं पूरी कोशिश कर रहा हूं कि इसकी निष्पक्ष जांच हो या फिर दुबारा से लड़वा लिया जाए.
दूसरों की तरह हार मानकर घर में बैठना, ये मैंने नहीं सीखा है.“ इस सिल सिले में #Ban_EVM के नाम से पिटिशन भी लगाई है और बड़ी संख्या में लोगों का समर्थन भी मिल रहा है।

चलिए मान लेते है की, समाज के नेता मैं कुछ कमियाँ है, और उन कमियों के कुछ कारण भी होंगे, तो सवाल यहाँ पर यह उठता है की आपने उन कमियों को ख़त्म करने के लिए क्या किया? और कौन कौनसे तरीक़े उन कमियों को दूर करने का अपनाए अथवा प्रयास किये?

अगर आपने उन कमियों को दूर करने के लिए कुछ कार्य किए है जिन्हें किसी कारण से जरूरतमंद व्यक्ति या समूह तक नहीं पहुँचाया जा सका या यू कह सकते है की आपके कार्य को उस व्यक्ति, उन समूहों तक नहीं पहुँचने दिया। मगर यह भी एक कारण है कि आपके सुझाव अथवा बदलाव के लिए किए गए कार्य को वहाँ तक क्यों नहीं पहुँचने दिया गया, कौन हैं वो लोग जो आपके संघर्ष को वहाँ तक पहुँचने नहीं दे रहे है? इस सवाल का जवाब जब तक आप ख़ुद नहीं खोजेंगे और असल कमी को उजागर नहीं करेंगे तब तक आप किसी की छवि को धूमिल नहीं कर सकते।

अगर सच में आपने बहुत काम किए है, बात पहुँचाने के माध्यम भी सही रखे है मगर वह ज़रिया सफल नहीं रहा, तब उस स्थिति में आप एक संगठन बन कर या बनाकर उस पर काम कर सकते है और अपनी बात को रख सकते है। मगर आप यह सब बिना करें जब आरोप के खेल को खेलने लगते है तो इसमें साफ़ आप अपनी राजनीति सेट करते हुए लोगों की नज़र में आने लगते है और लोगों की आलोचना का केंद्र बनने लगते है। मैं अंत यह कहना चाहूँगा की, फ़ैसला लेने से पहले आप समझिए की आप कौन है, क्यों है, और आपका मक़सद क्या है?



Rahul Vimal

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